मुझे आईना देखते हुए डर लगता है कहीं वह मेरे अंदर के उस दूसरे चेहरे को न दिखाए जिसे मैं भी देखना नहीं चाहता हूँ!
हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ
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