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कविता

आईना 1

सुमित पी.वी.


मुझे आईना देखते हुए
डर लगता है
कहीं वह मेरे अंदर के
उस दूसरे चेहरे को
न दिखाए
जिसे मैं भी देखना नहीं चाहता हूँ!


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हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



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